Saturday, March 28, 2009

अजन्मी बच्ची की पुकार .........


अजन्मी बच्ची की पुकार .........
माये ..क्यों तू ही मेरी दुश्मन बनी
क्यों तू खुद को ही मारने चली ...
किया तुने एक घर को रोशन
एक बंश बेल को बढने दिया ...
फिर क्यों ????????
तूने मानी सब की बात
क्यों नहीं सुनी अपने दिल की आवाज़
ओह माँ ......ओह माँ
क्यों तूने जन्म से पहले मेरी बलि देदी ??????
(.....कृति....अनु......)

Wednesday, March 25, 2009

जीवन है ये एक कटी पतंग..............



जीवन है ये
एक कटी पतंग
यह मै मानती हू
दिन को तो ढलना है
शाम होने पर
सब जानते है
फिर भी ...सूरज सुबह होते ही आता है
डरता नहीं डूबने के डर से ,
वो ऊबता नहीं ,अपनी ही दिनचर्या से
रोज़ नयी हिम्मत जुटा ..
बिखेरता अपनी रोशनी
इस सारे जहां में
फिर मै क्यों घबराऊ
आने वाले कल से ...
क्यों डर जाऊ
अपने अंतिम समय से
उड़ती पतंग की डोर
को किसी की डोर तो काटेगी
पर काटने से पहले ,क्यों ना मै अपनी
ऊँची से ऊँची उड़न उड़ जाऊ
जीवन है ये
एक कटी पतंग
(.....कृति ....अनु......)

Thursday, March 19, 2009

ये चुनावी माहौल ......



चुनावी दौर
लो जी ,फिर आया मौसम ,
चुनाव का
फिर से मुद्दों कि मुहीम छिडी...
फिर से शुरू हुई वोटो को मांगने की..भीख
हर प्रत्त्याशी ने अपने पत्ते है खोले
फिर से झूठे वादों का दौर आया ...
कही तो बटे नोट ...
तो कही हुआ गाली गलौच ..
का माहौल ..
फिर भी हर पॉँच साल बाद आये
ये चुनावी माहौल ......
जो उठा कांग्रेस का पंजा ..
तो डर के भागा हाथी....बहिन मायावती का
उडी नींद सभी की जो
जगी लालटेन लालू की ...इन सभी की बीच
खिला जो फूल कमल का ......
ऐसा की जो आज तक कभी ना मुरझाया ...
भले .....
ही पार्टी का हर कार्यकर्ता ..
आपस मे लड़ भीडे ....पर
हम नहीं सुधरेगे ...इसे पे है सब अडिग...
लो जी ,फिर आया मौसम ,
चुनाव का .............
.(.....कृति...अनु....)

Saturday, March 14, 2009

मै क्या हू .....?


मै क्या हू .....?
मै क्या सोचती हू ?
मै क्या चाहती हू ?
खुद नहीं जानती ........
क्या पाना ,क्या खोना
मेरे लिए सब एक सा है ..
क्यूकि इस दिल से उम्मीद ....
शब्द ही मिट चुका है|
कभी सोचू.........ऐसा करू ,
कभी सोचू ...मै वैसा करू
ऐसे और वैसे के चक्रव्हिहू में ,
कभी कुछ नहीं किया |
कभी सोचू अपने लिए
थोडा सा तो जी लू
फिर सोचा .....वो क्या कहेगा
ये क्या कहेगा . ..सब क्या कहेगे
इसी सोच में , अपने लिए जीना ही छोड़ दिया |
कभी देश की हालत पे गंभीर हो लेती हू ,
पर दूसरे ही पल ...सब लोगो संग हस देती हू
ये सोच की ...सिर्फ मेरे सोचने भर से क्या होगा ,
मै क्या बोलू और क्या ना बोलू ..
कभी सोचा ही नहीं .....
मै क्या हू .....?
(....कृति....अनु ...)

दो हंसो का जोड़ा......


दो हंसो का जोड़ा
निर्मल,पवित्र ,पाक सा
श्वेत, श्यामल स्वछ सा ..
चला है इस पार से उस पार..
अपने पशुत्व को जीत के
देने चला सबको प्यार का उपहार .......
दो हंसो का जोड़ा ........
देखो फिर बदली दिशा अपनी उसने
नियति से लेने टक्कर वो चला
बना के ,ज़माने को अपना दुश्मन
खुद का प्यार वो पाने चला .........
दो हंसो का जोड़ा ..............
बहते पानी को किसने है रोका ,
झूठी दुनिया के बाशिंदे ,
इस नफरत की आग में देखो ,
ली बलि ....
फिर से उन हंसो के जोड़े की
दो हंसो का जोड़ा .......
निर्मल,पवित्र ,पाक सा
श्वेत, श्यामल स्वछ सा .......
दे कर अपने प्यार का बलिदान
देखो वो ..अमर हो चला .......
दो हंसो का जोड़ा .........
(....कृति.....अनु.....)

Monday, March 9, 2009

होली है .........होली है .....


होली है .........होली है .......आयो खेले होली मिल के
दिल से दिल तक है ये सफ़र
इस बार ...
फागुन कुछ बहका बहका है
मन भी कुछ महका महका है
ले रंगों के बोछार...उडे लाल लाल गुलाल..
भरे प्यार की पिचकारी ...
भीगे जिससे हर सखी प्यारी सारी....
सखा संग भी ..खेले अपनेपन की होली ..
डाले ...रंगों के साथ ..कुछ अपने होने का एहसास ..
हर आँगन में एक हीं धुन है
हर चेहरे पे एक हीं बात
कल जो होगा देखेंगे फिर...
अभी तो संग मिला है ....
आओ मिलकर रंग डालें सब.....
एक हीं रंग हो भेद ना हो कुछ
तुम भी लाल ... हम भी लाल..
भंग का रंग भी इस्स्में डालें
कर डालें दुनिया हीं लाल...
मुझे ना हो सुध तुम्हें ना हो सुध
आयो खेले होली मिल के ..........लालो लाल ........
होली है .........होली है .......
(....कृति ...अनु ......)