Thursday, September 19, 2013

राष्ट्रीय साहित्य,कला और संस्कृति का सम्मान समारोह

 आज की पोस्ट में मैं आप से पहले अपने सम्मान की कुछ तस्वीर साँझा करुँगी और उसके बाद उदयपुर जो मैंने अपनी नज़र से देखा ...एक भ्रमण और एक सोच के साथ कि मैं इस सफर में कुछ भी सोच कर नहीं चली  थी ...बस एक सम्मान लेने की बात थी जो कि मुझे मिलना था और मुझे उसे लेकर वापिस आ जाना था पर नहीं जानती थी कि ये सफर एक यादगार सफर के रूप में मेरी इस जिंदगी के साथ जुड़ जाएगा ....
उदयपुर से लगभग ३८ km उत्तर की तरफ जाने वाले सड़क मार्ग पर महाराणा प्रताप संग्रहालय ...हल्दीघाटी स्थित है |पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इसका नाम बहुत सम्मानपूर्वक लिया जाता है |
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लेखन के क्षेत्र में एक कदम और आगे .......राष्ट्रीय साहित्य,कला और संस्कृति परिषद्...महाराणा प्रताप संग्रहालय, हल्दीघाटी, राजसमन्द (राज.)...(उदयपुर )
 





सम्मान पुरस्कार पत्र .....श्रीमती अंजु (अनु) चौधरी काव्य शिरोमणि राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ...१४ सितम्बर ...२०१३ 


 


मुझे सम्मान देने वालो में ...डॉ अमर सिंह वधान (चंडीगढ़ ), हरकीरत जी (गुहाटी से) और डॉ देवेन्द्रनाथ साह (विक्रमशिला विद्द्यापीठ)...
कुछ लोगों  और कुछ दोस्तों से मिलना हमेशा ही एक सुखद अहसास की अनुभूति देता है और इस लिस्ट में हर बार कोई ना कोई नाम जुड़ जाता है ...इसे मैं एक इतेफाक ही कहूंगी कि मेरे प्रथम काव्यसंग्रह ''क्षितिजा'' का विमोचन हरकीरत जी के संग्रह के साथ ही हुआ था और मेरी उनसे ये दूसरी मुलाकात थी |यूँ अचानक से उनसे मिलना हो जाएगा ..ये मैं जानती नहीं थी |
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                                               आशा पांडेय ओझा और मैं(कुछ बातचीत के क्षण )
फेसबुक की एक ओर मित्र जो अभी तक बस वहीँ तक ही सीमित थी उनसे ऐसे आमने सामने मिलना अच्छा लगा ....''आशा पांडेय ओझा '' जिन्हें फेसबुक पर पढ़ा और देखा था उनसे इस तरह मिलना ...अच्छा लगा ..मेरी ही तरह वो भी इस संस्था द्वारा सम्मानित की गई थी |
                                         

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 देश भर से आए सभी सम्मानित सदस्यों का जमावड़ा  ......सभागार पूरा भरा हुआ था



                                          मैं ..डॉ डॉ देवेन्द्रनाथ साह (विक्रमशिला विद्द्यापीठ)...और डॉ सुमन भाई ''मानस भूषण ''
 डॉ सुमन भाई''मानस भूषण'' ..इनकी श्रीमती जी(उज्जैन से) और मैं
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 डॉ सुरिंदर कौर जी(जालंधर से ) ,डॉ अमर सिंह वधान (चंदीगढ़) और हम (अंजु(अनु) चौधरी करनाल से


यहाँ  हल्दीघाटी (उदयपुर)में अपने देश के अलग अलग जगह से बहुत सारे साहित्यकार आए हुए थे ...ऐसा लग रहा था जैसे पूरा हिन्दुस्तान यही सिमट गया हो ....सब से मुलाकात संम्भव नहीं थी ...पर जिन से मुलाकात हुई उनके परिचय और बेहद संजीदा बातचीत के साथ और ये मेरे साथ मुंबई की मेरी दोस्त नीता कोटेचा ...जो मेरे इस सफर की साक्षी भी है और इस प्रोग्राम को कमरे में कैद करने वाली मेरी शुभ-चिन्तक मित्र
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महाराणा  प्रताप संग्राहलय का बाहरी हिस्सा ....उस वक्त की  बेजोड कारीगरी

 संग्राहलय के प्रांगनमें शिव मंदिर ....बेहद खूबसूरत

संग्राहलय  का बाहरी द्वार पर आने वालो के लिए मनोरंजन का पूरा बंदोबस्त है ...कुछ मस्ती के पल नीता और मेरे लिए ये पल बेहद खूबसूरत अहसास लिए हुए रहें ...

                                  

http://www.haldighatimuseum.com/..............महाराणा प्रताप संग्राहलय ...(हल्दीघाटी) का बाहर से दिखने वाला सम्पूर्ण रूप आप इस साईट पर देख सकते हैं

उदयपुर जितना हमने देखा ....वो अगली पोस्ट में आप सबके साथ साँझा करुँगी ......

Monday, September 9, 2013

दंगो की मार









फिसलता सिंदूर

सारे रंग
सारी रोशनियाँ,
सारे मौसम
और अंश-अंश तुम्हारा
बिखर गया
इन दंगो की मार में
मेरी मांग से ही क्यों
तुम्हारा दिया
सिंदूर फिसल गया ||

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दंगे
गुलमोहर के कुछ ऊपर से
फिर ऊपर से कुछ ऊपर,
जहाँ से आज की सांझ
बहुत रुलाती है
खंड-खंड टूटता हुआ
आदमी
आदमी को ही कुचलता हुआ
आगे बढ़ता है |

जहाँ,साम्प्रदायिकता की आग
हर किसी की चेतना को
तोडती हुई आगे बढ़ती है
गली-कुचों में
बिखरी लाशें
सत्ता के भूखे भेड़ियों या
फिर धर्म के नाम पर रची जाने वाली
साजिशों की ....
किसकी चाल या
किसकी हैवानियत को बयाँ करती है
क्यों इन दंगो की आग
सिर्फ मासूमों को ही
जला कर राख करती हैं ?

अंजु(अनु)